आज का श्लोक
शरीरदोषप्रकोपे खलु शरीरमेवाश्रित्य प्रायशस्त्रिविधमौषधमिच्छन्ति–अन्तःपरिमार्जनं, बहिःपरिमार्जनं, शस्त्रप्रणिधानं चेति।
(च.सू. ११/५५)
शारीरिक दोषों के कुपित होने पर शरीर को ही आश्रय बनाकर तीन प्रकार की औषधियाँ प्रयुक्त होती हैं– १. अन्तःपरिमार्जन, २. बहिःपरिमार्जनं, ३. शस्त्रप्रणिधान।
शरीरदोषप्रकोपे खलु शरीरमेवाश्रित्य प्रायशस्त्रिविधमौषधमिच्छन्ति–अन्तःपरिमार्जनं, बहिःपरिमार्जनं, शस्त्रप्रणिधानं चेति।
(च.सू. ११/५५)
शारीरिक दोषों के कुपित होने पर शरीर को ही आश्रय बनाकर तीन प्रकार की औषधियाँ प्रयुक्त होती हैं– १. अन्तःपरिमार्जन, २. बहिःपरिमार्जनं, ३. शस्त्रप्रणिधान।
Kao
Komentar
Udio
Shubhamsinghchouhan
Izbriši komentar
Jeste li sigurni da želite izbrisati ovaj komentar?