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आज का श्लोक

सर्पिस्तैलवसामज्जातण्डुलप्रसृतैः श्रृता।
पाञ्चप्रसृतिकी पेया पेया स्नेहनमिच्छता।।
(च.सू. १३/९०)

घृत, तैल, वसा, मज्जा और चावल एक-एक प्रसृत लेकर बनाई हुई पेया का नाम 'पाञ्चप्रसृतिकी पेया' है। इसे शरीर का स्नेहन चाहने वालों को पीना चाहिए।