आज का श्लोक
सामान्यमेकत्वकरं विशेषस्तु पृथक्त्वकृत्।
तुल्यार्थता हि सामान्यं विशेषस्तु विपर्ययः।।
(च.सू. १/४५)
एकत्वबुद्धि को उत्पन्न करने वाला सामान्य होता है जो विभिन्न बुद्धि को उत्पन्न करता है वह विशेष अर्थात जो अलग करने वाली बुद्धि है उसे विशेष कहा जाता है। सामान्य तुल्य अर्थ को बतलाता है। विशेष इनसे विपरीत अर्थ का बोध कराता है।
Suka
Komentar
Membagikan
Shubhamsinghchouhan
Hapus Komentar
Apakah Anda yakin ingin menghapus komentar ini?