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चित्रक का उपयोग -
चित्रक एक कफ नाशक जड़ी-बूटी है। जो शरीर में जमा कफ को बाहर निकलने और ज्वर को खत्म करने में मदद करती है।

चित्रक की छाल के चूर्ण का सेवन छाछ के साथ करने से बवासीर रोग में आराम मिलता है।

नीले चित्रक की जड़ के चूर्ण का उपयोग करना सिर दर्द में लाभप्रद साबित होता है।

लाल चित्रक को दूध में पीसकर लेप करने से खुजली की समस्या कम होती है।

चित्रक त्रिदोष नाशक औषधि है। जो वात, कफ और पित्त को शांत करने में मदद करती है।

प्रतिदिन इसकी जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीना मधुमेह रोग में फायेदा करता है।

नीले चित्रक की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से कालाजार के बुखार में फायदा मिलता है।

लाल चित्रक की जड़ की छाल को तेल में पकाकर, छानकर लगाने से पक्षाघात यानी लकवा और गठिया रोग में लाभ होता है।

चित्रक के सेवन से कष्टसाध्य क्षय रोग, बैक्टीरिया, खांसी और गांठों के रोगों में लाभ होता है। वैद्य या चिकित्सक की सलाहानुसार चित्रकादि लेह का सुबह-शाम सेवन करने से दम फूलना, खांसी और हृदय रोग में भी लाभ होता है।

नीले चित्रक की जड़ और बीज को पीसकर उसका चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण का इस्तेमाल दांतों पर मलने के लिए करें। ऐसा करने से पायरिया रोग में लाभ मिलता है और दांतों की सड़न दूर होती है।

नाक से खून आना अर्थात नकसीर की समस्या में सफेद चित्रक के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर लेने से नकसीर में लाभ मिलता है। वहीं इसके चूर्ण का लेप बनाकर गठिया रोग में इस्तेमाल करना भी अच्छा रहता है।

चित्रक की जड़ के चूर्ण में काली मिर्च चूर्ण, पिप्पली चूर्ण और सोंठ को मिलाकर सेवन करने से बुखार और खांसी जल्दी ठीक होती है।

लिवर संबंधी रोगों में चित्रक का उपयोग करना फायदेमंद साबित होता है। चित्रक कामला (पीलिया) जैसे रोग में लिवर की कोशिकाओं को स्वस्थ बनाकर पीलिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।

नीले चित्रक में बाल और भूख को बढ़ाने एवं भोजन को पचाने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा यह कब्ज, बवासीर, कुष्ठ और पेट के कीड़ों का इलाज करने में भी मददगार साबित होता है।

आंवला, चित्रक, हल्दी, अजमोदा और यवक्षार को बराबर मात्रा में पीसकर उसका चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को चाटने से गले की खराश दूर होती है।

चित्रक सूजन, कृमि (आंतों के कीडे़), बवासीर, खांसी, गैस, संग्रहणी और कोढ़ को खत्म करने का काम करता है।

इसकी जड़ के चूर्ण को सिरका व दूध में मिलाकर लेप करने से चर्म रोगों में फायेदा मिलता है।

चित्रक एक आमपाचन है। जो आंतों से मल को बाहर निकालकर बाद में स्तम्भन करने का काम करता है।

चित्रक का नियमित सेवन करने से स्तनों की शुद्धि होती है और रक्तशोधक होता है।

लाल चित्रक और देवदारु को गोमूत्र के साथ पीसकर लेप करने से फाइलेरिया अर्थात हाथीपांव (श्लीपद) में आराम मिलता है।

चित्रक की जड़, ब्राह्मी और वच के समान भाग का चूर्ण बनाकर दिन में दो से तीन बार देने से हिस्टीरिया (योषापस्मार) में फायेदा होता है।